एनटीपीसी ने संयुक्त राष्ट्र के सीईओ वाटर मैंडेट पर किए हस्ताक्षर, पानी की खपत को कम करने, उसका फिर से इस्तेमाल करने की दिशा में एक खास पहल
रायगढ़: देश की सबसे बड़ी विद्युत कंपनी एनटीपीसी लिमिटेड ने प्रतिष्ठित यूएन ग्लोबल कॉम्पेक्ट के सीईओ वाटर मैंडेट पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। इस तरह एनटीपीसी कुशल जल प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने वाली कंपनियों की प्रतिष्ठित लीग में शामिल हो गया है। साथ ही, इसके चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर श्री गुरदीप सिंह बिजनेस लीडर्स के एक ऐसे समूह में शामिल हो गए हैं जो जल प्रबंधन के बढ़ते महत्व को पहचानते हैं और इस बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण के लिए काम कर रहे हैं। एनटीपीसी ने जल प्रबंधन पर प्रभावी तौर पर ध्यान देते हुए अपने संयंत्रों में पहले ही कई उपाय किए हैं। अब वाटर मैंडेट पर हस्ताक्षर करने के बाद एनटीपीसी विद्युत उत्पादन की अपनी मुख्य व्यावसायिक गतिविधि को परिणाम देते हुए जल संरक्षण और प्रबंधन के लिए 3 आर (रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल) को और अधिक बढ़ावा देगा।
सीईओ वाटर मैंडेट एक संयुक्त राष्ट्र ग्लोबल कॉम्पैक्ट की पहल है जो पानी, स्वच्छता और सतत विकास लक्ष्यों पर बिजनेस लीडर्स को एकजुट करती है और पानी और स्वच्छता एजेंडा को बेहतर बनाने के लिए कंपनियों की प्रतिबद्धता और प्रयासों को प्रदर्शित करती है। सीईओ वाटर मैंडेट को जल संबंधी व्यापक रणनीतियों और नीतियों के विकास, कार्यान्वयन और प्रकटीकरण में कंपनियों की सहायता के लिए डिजाइन किया गया है। यह कंपनियों को समान विचारधारा वाले व्यवसायों, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, सार्वजनिक प्राधिकरणों, नागरिक समाज संगठनों और अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ साझेदारी करने के लिए एक प्लेटफार्म भी प्रदान करता है।
दुनिया के कई हिस्सों में पानी और स्वच्छता दोनों क्षेत्रों में बढ़ते संकट के कारण सभी उद्योगों में कंपनियों के लिए अनेक नए जोखिम सामने आए हैं और कुछ मामलों में अनेक नए अवसर भी उपलब्ध हुए हैं। एनटीपीसी जल नीति को लागू करने के माध्यम से जल स्थिरता के मुद्दों को सक्रिय रूप से संबोधित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो जल प्रबंधन रणनीतियों, प्रणालियों, प्रक्रियाओं, प्रथाओं और अनुसंधान पहलों की स्थापना के लिए एक निर्देश के रूप में काम करेगा।
एनटीपीसी लारा के मुख्य महाप्रबंधक श्री आलोक गुप्ता ने इस उपलब्धि पर बधाई प्रेषित की। एनटीपीसी लारा में हाल ही में ऐश वॉटर रीसर्कुलशन सिस्टम की शुरुआत की गई है जो की जल-संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।