छत्तीसगढ़रायगढ़

बिना अनुमति के भूजल दोहन और समय पर जलकर भी नहीं करते अदा ….उद्योगों पर जलकर के भारी भरकम बकाया वसूली में जल संसाधन विभाग फिसड्डी

विभाग के पास नहीं जानकारी किस उद्योग ने कितने किस साइज और कितनी गहराई के बोर वेल से हो रहा भूजल दोहन

Spread the love

 

रायगढ़। आम आदमी शहरवासी यदि समय पर जलकर नहीं पटाया तो खैर नहीं वहीं दूसरी ओर उद्योग बिना अनुमति के भूजल दोहन करें और करोड़ों रुपए का उन पर जलकर बकाया रहे कोई बात नहीं। उक्त बात कहते हुए पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल आगे कहते हैं कि उद्योगों को जल संसाधन विभाग के नियम के अनुसार जल दोहन का मासिक जलकर 30 दिनों के अंदर कंपनियों को जमा करना होता है लेकिन कंपनियों पर लाखों करोड़ों का बकाया होने के बाद भी जल संसाधन विभाग वसूली नहीं कर पाती है यह एक बड़ी विडंबना है कि पानी को लेकर भी प्रशासन आम आदमी और उद्योगपतियों के बीच भेदभाव करता है।
पर्यावरण मित्र के बजरंग अग्रवाल ने कहा कि शहर में आम आदमी यदि समय पर जलकर अदा न करे तो आफत आ जाती है किंतु यह नियम उद्योगपतियों पर लागू नहीं होता है। जिले स्थापित कई बड़े उद्योगों पर तो करोड़ों रुपए बकाया है। एक जानकारी के मुताबिक मई 2024 से जुलाई 2024 की स्थिति में उद्योगों पर जलकर बकाया पर नजर डालें पर हैरान करने वाले आंकड़े सामने आते है जो सीधा बताता है कि विभाग का उद्योग पतियों पर किस तरह मेहरबानी दिखाते हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो अकेले टी आर एन एनर्जी पर 70 करोड़, वीसा पावर पर 50 करोड़, मोनेट जे एस डबल्यू 1 करोड़ से ऊपर, एमएसपी पर 31.50 लाख, रायगढ़ इस्पात 3 करोड़ से अधिक, नवदुर्गा फ्यूल पर 7 करोड़, सालासर स्टील एंड पावर पर 21 करोड़ से अधिक, इंड्स इनर्जी पर 8 लाख, आर आर एनर्जी पर 4 लाख से अधिक, रुपाणा धाम पर 67 लाख से अधिक, श्याम इस्पात पर 1 करोड़ से अधिक, सिंघल पर 21 लाख इनके अलावा शिव शक्ति स्टील, मां काली, सुनील इस्पात, मां शाकंभरी जैसे उद्योगों पर भारी भरकम जलकर बकाया होने के बाद भी जल संसाधन विभाग वसूली में फिसड्डी साबित होता दिखाई देता है। जल संसाधन विभाग की ओर से उद्योगों को जल दोहन की पूरी छूट मिली हुई है पर यह छूट आम आदमी के लिए नहीं है।
बजरंग अग्रवाल ने बताया कि एक जानकारी के मुताबिक जिले स्थापित 51 उद्योग तो ऐसे हैं जो बिना अनुमति के भूजल का दोहन कर रहे हैं। उद्योग बिना अनुमति के बोरवेल खनन नहीं कर सकते है लेकिन ये बिना किसी डर भय के बिना अनुमति के बोरवेल का भी खनन कर रखे हैं और उनसे भारी मात्रा में भूजल का भी दोहन कर रहे हैं। गिरते भूजल को देखते हुए बोरवेल से भूजल दोहन प्रतिबंधित है किंतु जिले में करीब 51 उद्योग ऐसे हैं जो बिना अनुमति के बोरवेल के माध्यम से भूजल का दोहन कर रहे है। खास बात ये है की उद्योग लगाने के पूर्व उद्योगपतियों से सतही जल के उपयोग की बात कागजों पर कही जाती है किंतु यह सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह जाती है और धड़ल्ले से बोर खनन कर भूजल का अवैध खनन कर दोहन कर रहे हैं। इन पर सबंधित विभाग महज कार्रवाई की औपचारिकता निभा कर रह जाता है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि खास बात ये है कि जल संसाधन विभाग के पास ये जानकारी नहीं है कि किस उद्योग ने कितने बोर करवाए हैं बोर की साइज और गहराई क्या है इसकी कोई जानकारी नहीं है। जबकि कोई भी उद्योग भूजल का दोहन नहीं कर सकता है उद्योगों को सतही जल का ही उपयोग करना होता है लेकिन यह सब महज कागजों तक ही सिमट कर रह गया है।

Total Page Visits: 21 - Today Page Visits: 1

aagaz

संपादक आगाज़ न्यूज़ Contact- VIVEK SHRIVASTAVA BOIRDADAR NEAR GAYTRI MANDIR RAIGARH. MO. 9425572311, 8770922670 MAIL - cgraigarh5@gmail.com

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!