बायो मेडिकल वेस्ट के निराकरण के लिए पूंजीपथरा में लगेगा प्लांट, 11 अगस्त को होगी जनसुनवाई…बढ़ जाएगा प्रदूषण का स्तर, ग्रामीण विरोध में
रायगढ़। अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के निराकरण के लिए जिस कंपनी को ठेका दिया गया था, उसकी जनसुनवाई 11 अगस्त को होनी है। हैरत की बात यह है कि उद्योगों ने जिस इलाके को उजाड़ दिया
है, वहीं अब एक और कंपनी बायो मेडिकल वेस्ट निराकरण के लिए सैकड़ों पेड़ काटेगी। इससे क्षेत्रवासी नाराज हैं। हर तरह के प्रदूषण को पूंजीपथरा पर थोपा जा रहा है। एनजीटी के आदेश के बाद छग सरकार ने बायो मेडिकल वेस्ट के निराकरण के लिए उपाय किए। एनजीटी की फटकार के बाद ही रायगढ़ जिले में भी बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फेसिलिटी सेंटर बनाने के लिए पर्यावरण विभाग ने फाइल चलाई। संभागायुक्त ने टेंडर जारी किया था, जिसमें वीएम टेक्नोसॉफ्ट प्रालि ने रायगढ जिले में इसका प्लांट लगाने का काम हासिल किया। जिस दर पर कंपनी ने काम हासिल किया, उसे लेकर पहले से विरोध है। आईएमए की रायगढ़ इकाई ने पहले ही उस दर पर भुगतान करने से इंकार कर दिया है। डाक्टरों का कहना है जिस कंपनी ने वीएम टेक्नोसॉफ्ट से भी कम दरें
डाली थीं, उसे काम नहीं दिया गया। कंपनी ने सांठगांठ
कर ज्यादा रेट पर काम पाया है। भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी कंपनी के लिए पर्यावरण विभाग ने रास्ते साफ किए हैं। चूंकि मेडिकल अपशिष्ट से भी खतरनाक तरीके से प्रदूषण फैलता है, इसलिए ट्रीटमेंट फेसिलिटी स्थापित करने के लिए भी जनसुनवाई करानी पड़ती है। विडंबना यह है कि इसके लिए प्रशासन ने उसी जगह जमीन दी, जहां पहले से प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है। पूंजीपथरा में वीएम टेक्नोसॉफ्ट को खनं 116/1 रकबा 0.4062 हे. (एक एकड़) जमीन दी गई है। यहां प्लांट लगाने के लिए ठेका कंपनी ने 11 अगस्त को जनसुनवाई रखी है। जमीन जिस जगह आवंटित की गई है, वहां जंगल है। प्लांट लगाने के लिए कंपनी वहां सैकड़ों पेड़ काटेगी। प्रदूषण कम करने के लिए पेड़ों की बलि ली जा रही है। इस बात से क्षेत्रवासी आक्रोशित हैं। दरअसल पूंजीपथरा में जिले में सबसे ज्यादा प्रदूषण है। सड़कों की हालत भी सबसे ज्यादा यहीं खराब है। सड़क हादसों में सबसे ज्यादा जानें इसी क्षेत्र के लोगों ने गंवाई है। अब वहीं पर पूरे जिले के अस्पतालों का मेडिकल ले जाकर डंप किया जाएगा।
वीएम टेक्नोसॉफ्ट कंपनी ने सांठगांठ करके ठेका भी
पा लिया है और अब पूंजीपथरा क्षेत्र का प्रदूषण स्तर बढ़ाने की तैयारी है।
गांव के बीचोबीच लगेगा प्लांट
जिस जमीन को वीएम टेक्नोसॉफ्ट प्रालि
के हवाले किया जा रहा है, वहां पूरा इलाका जंगल है।
शासकीय भूमि में से एक हिस्सा देते समय किसी ने
यह नहीं देखा कि कितने पेड़ कटेंगे। उस जगह से
सामारूमा, पड़कीपहरी, गोदगोदा और पूंजीपथरा की
दूरी करीब एक-एक किमी ही है। जब पूरे जिले का
मेडिकल वेस्ट गाडिय़ों से ढोकर वहां पहुंचाया जाएगा
तो आसपास का पूरा जंगल नष्ट होना तय है। कोई
ऐसी जमीन नहीं खोजी जा सकी, जो बंजर हो।
प्रशासन के निर्णय में विरोधाभास
ग्रामीणों ने बताया कि प्रशासन के निर्णय में विरोधाभास है। पहले पूंजीपथरा में दस एकड़ खाली शासकीय जमीन पर गौठान बनाया जाना था। काम शुरू भी कर दिया गया था लेकिन वह भूमि भी उद्योगों के लिए आवंटित करने की बात कहकर गौठान बनाने से रोक दिया गया। अब उस जगह से थोड़ी दूर बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है। यह पूंजीपथरा के लोगों की जान से खिलवाड़ करने जैसा है।
100 किलोग्राम प्रति घण्टे की क्षमता वाला प्लांट
पूरे जिले के अस्पतालों का मेडिकल अपशिष्ट जिसमें मानव अंग भी होंगे, उसे समेटकर उस जगह पर ले
जाया जाएगा। एक एकड़ में नवीन बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फेसिलिटी परियोजना, इंडक्शन प्लाज्मा पायरोलाइसिस 100 किग्रा प्रति घंटा, ऑटोलेव क्षमता 100 किग्रा प्रति बैच, शेडर क्षमता 100 किग्रा प्रति
घंटा की स्थापना की जाएगी। 11 अगस्त को इसकी जनसुनवाई बंजारी मंदिर परिसर के समीप रखी गई
है।
आंदोलन करने की तैयारी में ग्रामीण
ग्रामीणों ने मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि प्रदूषण के कारण वे नारकीय यातना भोग रहे हैं। कोल डस्ट के बीच रहने को मजबूर हैं। इस दिशा में पर्यावरण विभाग ने कोई पहल नहीं की। न तो उद्योगों पर कार्रवाई हुई और न ही नए उद्योग लगाने से इंकार किया गया। पूंजीपथरा क्षेत्र पर अब मेडिकल वेस्ट भी थोपा जा रहा है। रोड के जरिए पूरे जिले का मेडिकल अपशिष्ट यहां पहुंचेगा तो आसपास रहना मुश्किल हो जाएगा। ग्रामीणों ने प्लांट कहीं और शिफ्ट करने की मांग की है। ऐसा नहीं करने पर आंदोलन भी किया जा सकता है।
दो जगहों की जमीन हो चुकी है खराब
अब तक जिले में बायो मेडिकल वेस्ट का निराकरण डीप बरियल सिस्टम से किया जा रहा है। पहले रामपुर में
जमीन को मेडिकल वेस्ट डाल-डालकर बर्बाद किया गया। अब अमलीभौना, कोसमनारा में भी यह काम किया जा रहा है। दो जगहों पर जमीनें बर्बाद करने के बाद वीएम टेक्नोसॉफ्ट को पूंजीपथरा में हरा-भरा इलाका दे दिया गया है। यहां पेड़ भी कटेंगे और प्रदूषण भी बढ़ेगा।