
आगाज़ न्यूज/रायगढ़। बजरमुड़ा मुआवजा घोटाले में राज्य स्तरीय जांच टीम व राजस्व विभाग के अपर सचिव के निर्देश के करीब साल भर बाद जिला प्रशासन ने इस मामले में कार्रवाई को आगे बढ़ाया है। कलेक्टर ने इस मामले में संलिप्त 7 अधिकारी व कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए घरघोड़ा एसडीएम को आदेश दिया है।
घरघोड़ा अनुविभाग में गारे-पेलमा सेक्टर 3 कोल ब्लाक को शासन ने 2020 में सीजीपीडीसीएल को आवंटित किया है। उक्त कोल ब्लाक आवंटित होने के बाद यहां मुआवजा को लेकर खेल शुरू हुआ। मुआवजे की लालच में जिले के इस छोटे से गांव में करीब 100 करोड़ रुपए का गलत मुआवजा वितरण किया गया।
कोल ब्लाक में प्रभावित ग्राम बजरमुड़ा में तत्कालीन राजस्व अधिकारियों ने बिना सिंचाई साधन के कृषि भूमि को दो फसली बता दिया था। इतना ही नहीं गांव से होकर न तो नदी गुजरी है न ही नाला इसके बाद भी अर्जित 174 हेक्टेयर भूमि में से करीब 124 हेक्टेयर भूमि को दो फसली बताकर मुआवजे की गणना की गई थी। मुआवजे की लालच में ही इस गांव में कृषि भूमि में आलिशान मकान व काप्लेक्स का निर्माण कर दिया गया था। कच्चे मकान को पक्का व पौधों को वृक्ष बताकर मूल्यांकन करते हुए गलत मुआवजे का आंकलन किया गया था।
इस मामले में दोषी पाए गए तत्कालीन अधिकारियों में एसडीएम अशोक मार्बल, तहसीलदार बंदेराम भगत, आरआई मूलचंद कुर्रे, पटवारी जितेंद्र पन्ना व परिसंपत्तियों के मूल्यांकन टीम में शामिल वन विभाग के बीट गार्ड राम सेवक महंत, वरिष्ट उद्यानिकी अधिकारी संजय भगत व लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर धर्मेंद्र त्रिपाठी का नाम शामिल है। इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने आदेश दिया गया है।