
रायगढ़।
तमनार क्षेत्र के बरपाली गांव में भारी विरोध के बीच स्टील प्लांट लगाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने इस प्रस्तावित स्टील प्लांट की स्थापना से पहले आम नागरिकों, पर्यावरणविदों और संबंधित पक्षों से राय और आपत्तियाँ आमंत्रित की हैं। यह प्रक्रिया पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की अधिसूचना दिनांक 14 सितंबर 2006 के तहत की जा रही है।
यह स्टील प्लांट परियोजना अनेक आधुनिक संयंत्रों से युक्त होगी, जिसमें 2×250 टीपीडी डीआरआई किल्न्स (स्पंज आयरन उत्पादन हेतु)
4×15 टन की इंडक्शन फर्नेस
15 टन की एलआरएफ यूनिट और 10 TPH की आरएचएफ
सीसीएम प्लांट (1,94,040 टीपीए हॉट बिलेट्स/एम.एस. बिलेट्स हेतु)
रोलिंग मिल (1,86,766 टीपीए टीएमटी बार्स, एंगल्स, चैनल्स हेतु)
कोल बेस्ड प्रोड्यूसर गैस प्लांट – 4000 NM3/hr
9 MVA के फेरो अलॉय प्लांट्स
फ्लाई एश ब्रिक प्लांट – 54,900 ब्रिक्स/दिन जैसे बड़े उत्पादन होंगे। लाजिमी है इससे व्यापक पैमाने पर प्रदूषण होगा।
पर्यावरणीय स्वीकृति से पूर्व, परियोजना पर जनसुनवाई का आयोजन 15 मई 2025 को सुबह 11:00 बजे, ग्राम बरपाली, तहसील तमनार, जिला रायगढ़ में किया जाएगा।
इस उद्योग की स्थापना का पूरे तमनार में आक्रोश
इस उद्योग के लगने के पूर्व पूरे तमनार क्षेत्र में लोगों का आक्रोश देखने को मिल रहा है। लोगों की माने तो यह कोल बेस्ड प्रोजेक्ट है। ऐसे में जब यहां उद्योग संचालित होने लगेगा तो तमनार क्षेत्र की पहले से ही बिगड़ी आवो हवा में यह उद्योग जहर घोलने का काम करेगा। आज तक लोगों का यह अनुभव रहा है कि उद्योग स्थापना के पूर्व उद्योग पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचने के लाख दावे करें लेकिन यह दावे कभी भी क्षेत्र में फली भूत होते नहीं दिखाई देते। यही कारण है कि अब तमनार क्षेत्र के लोगों का उद्योगों पर से एवं पर्यावरण मंडल से भी मोह भंग हो चुका है।
तमनार चल रहा जल जंगल और जमीन की लड़ाई
तमनार क्षेत्र में काफी पहले से जल जंगल और जमीन की लड़ाई चल रही है, यहां के स्थानीय निवासियों औद्योगिक स्थापना के विरोध में कई बार धरना प्रदर्शन किया है एवं अपनी आवाज सरकार तक पहुंचने की कोशिश की है लेकिन हर बार यह आवाज कहीं ना कहीं दब जाती है और कोई ना कोई नया उद्योग अपने मुनाफे के लिए यहां के रहवासियों की सांसों को कम करने में कामयाब हो जाता है। जानकारी और विशेषज्ञों की माने तो औद्योगिक विकास से हो रहे पर्यावरणीय नुकसान से प्रभावित लोगों की बीमारियां बढ़ रही है और उनकी आयु भी काम हो रही है। यही कारण है कि अब इस क्षेत्र में किसी नए उद्योग के स्थापना का बड़े स्वरूप में विरोध होता है. केलो स्टील एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड का प्रोजेक्ट वर्तमान में लोगों के विरोध से घिरा हुआ है अब देखने वाली बात होगी कि औद्योगिक घराना किस प्रकार से अपनी बात लोगों के बीच रख पाता है और उन्हें अपने प्रोजेक्ट की स्थापना के लिए राजी करवाता है। बहरहाल इस उद्योग के लिए सफलतम जनसुनवाई की राह आसान नहीं है.