
रायगढ़। नगर निगम चुनाव को लेकर शहर में सियासी सरगर्मी अपने पूरे शबाब पर है। औद्योगिक नगरी में अपना महापौर बिठाने बीजेपी और कांग्रेस में कैंडिनेट की खोज भी तेज हो गई है। वहीं दोनों ही पार्टी में मेयर पद का चुनाव लड़ने के लिए दावेदारों की भी लंबी कतार लग चुकी है। लेकिन दोनों ही दल में अलग अलग गुटबाजी के कारण दावेदारों में अपने टिकट को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है। ये दावेदार जानते हैं कि वे यदि एक गुट के बन के रहे तो संगठन इससे नाराज हो जाएगा। इस लिए दोनों ही दल में दावेदार सभी गुट के बड़े नेताओं से आशीर्वाद लेकर अपने आपको प्रबल बनाने की मशक्कत कर रहे हैं।
2025 का नगर निगम चुनाव इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि प्रदेश में अब बीजेपी की सरकार है और इस बार मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होगा ऐसे में मेयर का यह चुनाव किसी विधानसभा चुनाव से कमतर नहीं होगा और भाजपा हर कीमत पर अपना महापौर बिठाने पूरी ताकत झोंक देगी। तो वहीं विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी चाहेगी कि कम से कम नगर में तो उनकी सत्ता बरकरार रहे। ऐसे में दोनों ही दल में संगठन बड़े ही साइलेंट तरीके से अपना प्रत्याशी खोज रही है।
दोनों ही दल में ऐसे चेहरे की तलाश हो रही है जिससे आम जनता चित परिचित हो। पार्टी में समर्पण के साथ सामाजिक गतिविधियों में भी वह सक्रिय हो। ताकि जब वह आम लोगों के बीच वोट लेने जाए तो यह बताने की जरूरत न पड़े कि फलां किस पार्टी से है और वह कौन है। यही कारण है कि दावेदारी करने वाले लोग अपने खुद के भी प्रचार में जुट गए है। अंत में तो संगठन को ही तय करना है कि उनका कैंडिनेट कौन होगा।
अब रायगढ़ में भाजपा और कांग्रेस में जिन दावेदारों के नाम को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा चल रही है उसका जिक्र कर लेते है। बीजेपी की बात करे तो यहां महापौर पद के सशक्त दावेदार में पहला नाम नरेश गोरख का आता है। नरेश गोरख का नाम दावेदार के रूप में आज से नहीं बल्कि नगर निगम रायगढ़ की स्थापना के समय से ही चलता आ रहा है। आलम ये है कि शहर के लोग उन्हें महापौर कह कर पुकारते हैं मृदुभाषी स्वभाव से नरेश ने लोगों का दिल जीता है यहीं कारण है कि उन्हें देखते ही लोग अनायास ही महापौर जी से संबोधित करते आ रहे हैं। ये बात अलग है कि अब तक उन्हें मौका नहीं मिल पाया। इसका सबसे बड़ा कारण गुटबाजी रहा। लेकिन नरेश ने कभी भी संगठन के फैसले को लेकर आपत्ति नहीं की। पार्टी और सामाजिक कामों में सक्रिय नरेश ने इस बार भी अपनी दावेदारी पेश की है। वैसे ये कहा जाता है कि भाजपा में एक न एक दिन निष्ठावान कार्यकर्ता को मौका मिलता है। नरेश के अलावा बीजेपी से दावेदारी करने वालों में रंजू संजय, जीवर्धन चौहान, सावन चौहान, प्रदीप श्रृंगी, अभिलाष कछवाहा, त्रिवेणी डहरे, संगीता सोनकर भाटिया, डाक्टर शिंदे सहित अन्य है। सभी अपने अपने तरीके से गुटीय नेताओं से लेकर संगठन साधने में जुटे हैं। सूत्रों की माने तो रायगढ़ के विधायक और वित्त मंत्री ही बीजेपी प्रत्याशी के नाम पर अंतिम मुहर लगाएंगे।
कांग्रेस में भी मेयर प्रत्याशी की खोज बड़े जोर शोर से चल रही है। रायगढ़ नगर निगम में कांग्रेस की ही निवर्तमान महापौर रहीं है। जो अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर बनीं थी। अब इस बार के चुनाव के लिए पूर्व महापौर जानकी काटजू ही कांग्रेस के लिए सशक्त चेहरा है। 5 सालों तक महापौर रही जानकी लोगों के लिए जाना पहचाना चेहरा है और संगठन में उनका एक अलग दमखम भी है। लेकिन कांग्रेस में गुटबाजी इस कदर व्याप्त है कि कब क्या हो जाए इसका पता नहीं। आरोप है कि खुद महापौर रहीं जानकी गुटबाजी का शिकार रहीं लेकिन इसके बाद भी उन्होंने पार्टी की छवि को खराब नहीं होने दिया। पार्टी के प्रति निष्ठावान और अपने काम के प्रति तटस्थ रहीं। सूत्र बताते हैं कि जानकी काटजू इसी सादगी के कारण ही एक दल विशेष ने अपने पार्टी में आने ऑफर भी दिया था। लेकिन जानकी डगमगाई नहीं और अपने पार्टी के प्रति निष्ठावान बनी रही।
हाल ही में कांग्रेस के पूर्व महापौर रहे जेठूराम मनहर ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद निगम में मेयर का चुनाव लड़ने कई लोग दावेदारी करने लगे है जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ था है कांग्रेस में इन दावेदारों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है। कांग्रेस के दावेदारों में नारायण घोरे, विनोद महेश, मुरारी भट्ट समेत कुछ अन्य हैं।