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चार वर्ष में और डेढ़ सौ जिलों में बनेंगे सहकारी बैंक, अमित शाह बोले- चुनाव से पहले 50 फीसदी वृद्धि का लक्ष्य

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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने देश की संपूर्ण तरक्की के लिए सहकारी बैंकों से आगे आने का आग्रह किया। कहा कि अभी देश के तीन सौ जिलों में सहकारी बैंक हैं। चुनाव में जाने से पहले इसमें 50 प्रतिशत की वृद्धि करनी है। अमित शाह मंगलवार को भारत मंडपम में राष्ट्रीय राज्य सहकारी बैंक महासंघ लिमिटेड के हीरक जयंती समारोह व ग्रामीण सहकारी बैंकों की राष्ट्रीय बैठक को संबोधित कर रहे थे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि देश के सभी जिलों में सहकारी बैंकों की स्थापना तभी हो पाएगी जब दो लाख नई प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) बना ली जाएंगी। मतलब प्रत्येक पंचायत में एक पैक्स बन जाएंगी। चाहे दूध उत्पादन प्राइमरी समिति हो या मछुआरों से संबंधित समिति। गांवों की प्रकृति जैसी होगी वैसी ही समितियों का गठन कर लिया जाएगा।
सहकारी बैंकों को मजबूत करना है तो पैक्सों को मजबूत करना होगा
उन्होंने कहा कि पैक्सों को कंप्यूटराइज करने पर 25 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इससे निबंधन से लेकर ऑडिट तक सारे काम ऑनलाइन होने लगेंगे। पैक्स ही राज्य सहकारी बैंक और जिला सहकारी बैंकों की आत्मा है। अगर सहकारी बैंकों को मजबूत करना है तो पैक्सों को मजबूत करना होगा। इसके लिए पैक्सों को नई तकनीक के लिए तैयार किया जा रहा है।
सहकारी बैंकों ने कृषि एवं गांवों को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई
अमित शाह ने कहा कि सहकारी बैंकों का निरंतर आधुनिकीकरण और कार्य क्षमता का विकास हो रहा है। सहकारी व्यवस्था ने पूरे देश के किसानों और कृषि में नई जान फूंकी है। सहकारी बैंकों ने जल प्रबंधन से लेकर कृषि एवं गांवों को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई है। हमारा देश सहकार से समृद्धि और समृद्धि से संपूर्णता की ओर जा रहा है। अलग मंत्रालय की स्थापना का उद्देश्य भी यही है। सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार का लक्ष्य वर्ष 2027 तक तीसरी अर्थव्यवस्था को प्राप्त कर लेना है। अगले पांच वर्ष सहकारिता क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण होने जा रहा है। सरकार गरीब, दलित आदिवासी और महिला का सम विकास चाहती है। सरकार ने करके दिखाया भी है। सहकारी क्षेत्र में इफको, कृभको और अमूल जैसी संस्थाओं ने बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की हैं।
राज्य की हर समस्या स्टेट को-आपरेटिव बैंक की होनी चाहिए
अमित शाह ने पैक्सों के दायित्व का भी जिक्र किया और कहा कि सहकारिता के भाव को संबल देने के लिए पैक्सों और सहकारी बैंकों को भी आगे आना चाहिए। गांव की हर समस्या पैक्स की होनी चाहिए। जिले की समस्या को-ऑपरेटिव बैंक और राज्य की हर समस्या स्टेट को-आपरेटिव बैंक की होनी चाहिए। सहकारिता को जनविश्वास भी अर्जित करनी होगी। इसके लिए पारदर्शिता जरूरी है। राज्य एवं जिला सहकारी बैंकों को भी पारदर्शी व्यवहार की शुरुआत करनी होगी। अगर ऐसा नहीं होगा तो हम अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सकते हैं।
आपदा शमन और क्षमता निर्माण परियोजनाओं के लिए राज्यों के लिए 1,115 करोड़ की मंजूरी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने 15 राज्यों में विभिन्न आपदा शमन और क्षमता निर्माण परियोजनाओं के लिए उक हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, समिति ने 115.67 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए एक और परियोजना को भी मंजूरी दी। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के लिए 139-139 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र के लिए 100 करोड़ रुपये, कर्नाटक और केरल के लिए 72-72 करोड़ रुपये, तमिलनाडु और बंगाल के लिए 50-50 करोड़ रुपये तथा आठ पूर्वोत्तर राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा के लिए 378 करोड़ रुपये की धनराशि मंजूर की गई।
क्षमता निर्माण के लिए अपर्याप्त तैयारी
केंद्रीय वित्त और कृषि मंत्री तथा नीति आयोग के उपाध्यक्ष की सदस्यता वाली समिति ने राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (एनडीएमएफ) से वित्त पोषण के लिए 15 राज्यों में भूस्खलन के जोखिम को कम करने के प्रस्ताव पर विचार किया। कहा गया है कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (एनडीआरएफ) के वित्तपोषण से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नागरिक सुरक्षा स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण के लिए अपर्याप्त तैयारी और क्षमता निर्माण के प्रस्ताव पर भी विचार किया गया।

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