
नई दिल्ली। रणथंभौर बाघ अभयारण्य से 25 बाघों के लापता होने की खबर के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने जहां इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए है, वहीं देश भर के बाघ अभयारण्यों को अलर्ट भी किया है, जिन्हें बाघों के मूवमेंट पर लगातार चौकस निगाहें रखने और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिए है।
मौजूदा समय में देश में करीब 55 बाघ अभयारण्य है। इनमें सबसे अधिक अभयारण्य मध्य प्रदेश और कर्नाटक में है। वैसे भी इन दोनों ही राज्यों में बाघों की सर्वाधिक आबादी भी है। एनटीसीए ने इसके साथ ही सभी बाघ अभयारण्यों से अपनी बाहरी सीमाओं पर विशेष सतर्कता बरतने और कैमरे लगाने के लिए भी कहा है, ताकि बाघों के अभयारण्य से बाहर निकलने पर नजर रखी जा सकें।
बड़ी संख्या में बाघों का लापता होना चिंता बढ़ाने वाला
रणथंभौर से बाघों के लापता होने की खबर ऐसे समय आयी है, जब बारिश के चलते लंबे समय से बंद पड़े अभयारण्यों को पर्यटकों के लिए खोलने का काम शुरू हुआ है। प्राधिकरण से जुडे अधिकारियों के मुताबिक बाघ अमूमन एक अभयारण्य से दूसरे अभयारण्य में विचरण करते रहते है, लेकिन एक साथ इतनी बड़ी संख्या में बाघों का एक अभयारण्य से लापता होना चिंता बढ़ाने वाला है।
वैसे भी यह तभी होता है, जब अभयारण्य में उन्हें पर्याप्त भोजन नहीं मिलता है। फिलहाल जांच में सभी पहलुओं को देखा जाएगा। गौरतलब है कि 2022 के सर्वेक्षण के मुताबिक देश में मौजूदा समय में करीब 36 सौ बाघ है। इनमें सबसे अधिक बाघ मध्य प्रदेश में है, जिनकी संख्या करीब आठ सौ है।
छत्तीसगढ़ में जहर से हुई बाघ की मौत
छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व के पास शुक्रवार को जिस बाघ का शव मिला था, पोस्टमार्टम में जहर से उसकी मौत होने की पुष्टि हुई है। बीते कुछ दिनों से बाघ मवेशियों का शिकार कर रहा था। आशंका है कि ग्रामीणों ने उसे जहर देकर मार डाला है। सरगुजा के मुख्य वन्य संरक्षक वी माथेश्वरन ने बताया कि बाघ के नाखून, दांत, मूंछ सुरक्षित थे। कोई अंग-भंग भी नहीं था। इन अंगों को प्रयोगशाला परीक्षण के लिए सुरक्षित रखा गया है। बता दें कि इसके पहले जनवरी 2022 में भी जिले में जहर से एक बाघ की मौत हो चुकी है।