
एक किलो गोबर में 4 किलो खाद का कर रहे उत्पादन
रायगढ़ /छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना महिला सशक्तिकरण के लिए एक ठोस पहल बन कर उभरी है। इस योजना से अब तक घरेलू काम-काज संभालती आयी महिलाओं को भी गांव में ही रोजगार के नए अवसर मिल रहे हैं। आलम तो यह है कि महिला समूह शासन के दावे से एक कदम आगे बढ़ती हुई निर्धारित 3 सौ ग्राम की जगह एक किलो गोबर से 4किलो वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर रही है। केंचुआ खाद के हो रहे बंफर उत्पादन ने जिले के साथ साथ दीगर जिलो को भी अपनी ओर आकर्षित करने पर मजबूर कर दिया है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि केंचुआ खाद के उत्पादन को देखने के लिए जांजगीर चाँपा जिले के डबरा ब्लॉक के अधिकारियों की टीम बकायदा प्रशिक्षण के लिए पहुंची थी।।मामला खरसिया विकासखण्ड के लोढाझर गोठान का है,जंहा की कान्हा स्व सहायता समूह की महिलाओं के परिश्रम और लगन ने कामयाबी की एक ऐसी स्वर्णिम इबारत लिखी है,जिसने लोगों को चकाचौध कर दिया है।अब तक 2 टन वर्मी कम्पोस्ट तैयार कर बिक्री भी की जा चुकी है।
“लागत से चार गुना मुनाफा
कृषि वैज्ञानिकों ने गोठानो में तैयार होने वाले वर्मी कम्पोस्ट को एक किलो गोबर में 3सौ ग्राम खाद निर्माण निर्धारण रखा है, जबकि लोढाझर गोठान में कान्हा महिला समूह एक किलो गोबर से 4 किलो वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो रहा है।। एक किलो केंचुआ खाद की कीमत 10 रुपए है,जिससे महिला समूह को 4किलो तैयार करने पर 40 रुपए का मुनाफा हो रहा है।जबकि शासन को सिर्फ 3 रुपये।
साबित हो रहा आय का बड़ा स्रोत
लोढाझर गोठान में गोधन न्याय योजना के अंतर्गत कान्हा स्व-सहायता समूह निरन्तर विकास के पायदान तय करता जा रहा है। शासन की मंशा के अनुरूप यह गोठान आय का बड़ा स्रोत साबित हो रहा है। स्व-सहायता समूह द्वारा गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदकर उससे वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया जा रहा है। जिले के अन्य गोठानों के लिए स्वस्थ केंचुओं की आपूर्ति भी की जा रही है। उक्त समूह के महिला सदस्यों के द्वारा अब तक 2 टन केंचुआ खाद तैयार किया जा चुका है,जिससे बतौर आमदनी लगभग 2लाख से अधिक हो चुका है।इसके अलावा इस सत्र के अंत तक महिला स्व-सहायता समूह के द्वारा लगभग 05 लाख रूपए की आमदनी का लक्ष्य रखा गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार की आमदनी से महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों में आत्मविश्वास बढ़ा है और वे दुगुने उत्साह के साथ अपने काम को आगे बढ़ाने जुटी हुई हैं।