रायगढ़। रायगढ़ में सरकारी आवंटन भूमि की अवैध खरीदी बिक्री का खेल बदस्तूर जारी है। जिसमें अब कार्रवाई होनी शुरू हो गई है। रायगढ़ शहर से लगे लामीदरहा में शासकीय आवंटन जमीन की अवैध खरीद-बिक्री मामले में लंबे समय के बाद अब नामांतरण निरस्त करने की कार्यवाही की जा रही है।तहसीलदार ने छह खसरा नंबरों की बेची गई जमीन में विक्रय के पूर्व भूमि स्वामी का नाम दर्ज किया है। अब इसे शासन के पक्ष में दर्ज किया जानाा है। लामीदरहा में खसरा नंबर 34 राजस्व अभिलेखों में बड़े झाड़ के जंगल और शासकीय भूमि के रूप में दर्ज थी। सरकार ने जीवन-यापन के लिए भूमिहीनों को जमीन दी थी लेकिन अब इसके मालिक शहर के दूसरे लोग हो गए। शासकीय पट्टे की भूमि को बिना कलेटर की अनुमति के नहीं बेचा जा सकता। 18 लोगों को 14.162 हे. भूमि आवंटित की गई थी। इस खसरा के 24 टुकड़े हो चुके हैं। लामीदरहा में खसरा नंबर 34 अभिलेखों में बड़े झाड़ के जंगल और रक्षित वन के रूप में दर्ज था। वन अधिकार पट्टा के रूप में भूमि आवंटन किया गया था। अवैध तरीके से जमीनों को दूसरे लोगों ने क्रय कर लिया। हाईकोर्ट के आदेश की भी गलत व्याया कर रजिस्ट्री करवा दी गई। कुछ मामलों में तो पूर्व तहसीलदार ने ही विक्रय की अनुमति दे दी। आवंटन भूमि के विक्रय के लिए कलेटर कोर्ट में प्रकरण दर्ज होता है लेकिन पूर्व तहसीलदार ने स्वयं ही बिक्री नकल दिए जाने के लिए राजस्व प्रकरण दर्ज किया और अनुमति दी। खुलासा होने के बाद नामांतरण निरस्त करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई थी। खनं 34/17, 34/20 शैलेष सतपथी, बासु मालाकार, हुसैन, सुलेमान अली को निरस्त कर पूर्व भूमि स्वामी बरतराम पिता चैतराम का नाम संधारित किया गया। इसी तरह खनं 34/18, 34/22 प्रसन्न कुमार देवता का नाम हटाकर पूर्व भूमिस्वामी पंकज अग्रवाल व सुरेश अग्रवाल का नाम दर्ज किया गया। खनं 34/19, 34/21 रघुवर प्रसाद पटवा का नाम हटाकर पूर्व भूमि पंकज अग्रवाल का नाम दर्ज किया जा रहा है।
लामीदरहा में बड़े पैमाने पर अनियमितता की गई। जो भी आवंटन भूमि पहली बार विक्रय की गई, उसमें कोई भी अनुमति नहीं ली गई। खनं 34/11 की पहली बिक्री 2003 में हुई। दूसरी बार 12 अप्रैल 2023 को विक्रय किया गया जिसमें हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया, लेकिन अदालत में यह बताया ही नहीं गया कि उत भूमि आवंटन से प्राप्त है। 34/16 तो 4 मार्च 2024 को बेची गई जिसमें तहसीलदार ने सीधे अनुमति दे दी। कलेटर के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण किया गया। इसी तरह 34/17, 34/20 भी 2023-24 में तहसीलदार के आदेश पर बेच दी गई। दोषियों पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।