रायपुर। छत्तीसगढ़ में जमीन की कीमतों में जल्द बड़ा उछाल देखने को मिल सकता है। पंजीयन विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, राज्यभर में 1 जुलाई 2025 से नई गाइडलाइन दरें लागू की जाएंगी। इससे प्रदेश के अधिकांश क्षेत्रों में जमीन की दरों में 10 से 25 प्रतिशत तक का इजाफा होने की संभावना है। इस बदलाव की तैयारी पिछले कई महीनों से चल रही थी। प्रदेश के 33 जिलों में अधिकारियों ने जमीन के मौजूदा बाजार मूल्यों का क्षेत्रवार सर्वेक्षण पूरा कर लिया है। अब उस आधार पर नई दरें तय की जा रही हैं। खासतौर पर रायपुर के 50 किलोमीटर के दायरे में जमीनों की कीमतें अधिक बढ़ने की उम्मीद है।
8 साल बाद दरों में संशोधन
यह पहली बार है जब पिछले आठ वर्षों में गाइडलाइन दरों में बदलाव किया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा लाभ किसानों को मिलने वाला है। वर्तमान में सरकार जमीन अधिग्रहण के लिए गाइडलाइन दरों पर मुआवजा देती है, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और होती है। सड़क किनारे की उपजाऊ और प्रमुख लोकेशन वाली जमीनें बाज़ार में कई गुना महंगी बिक रही हैं, लेकिन मुआवजा पुरानी दरों पर ही तय होता है। नई गाइडलाइन से किसानों को उचित और बेहतर मुआवजा मिलेगा।
ब्लैक मनी पर लगाम की उम्मीद
नई गाइडलाइन दरों से केवल किसान ही नहीं, आम खरीदारों और सरकार को भी फायदा होगा। अभी तक जमीन के सौदों में बिल्डर और विक्रेता गाइडलाइन दर के नीचे रजिस्ट्री करवा कर शेष राशि नकद में लेते रहे हैं, जिससे काले धन का चलन बढ़ा है। अब जब गाइडलाइन दरें बाजार दर के करीब होंगी, तो यह अंतर घटेगा और लेन-देन ज्यादा पारदर्शी होंगे।
सरकार का बढ़ेगा राजस्व
वर्तमान में राज्य को पंजीयन शुल्क और स्टांप ड्यूटी से करीब 2,900 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है। जबकि पड़ोसी राज्यों की तुलना में यह काफी कम है। महाराष्ट्र को 40,000 करोड़, कर्नाटक को 30,000 करोड़ और मध्यप्रदेश के केवल इंदौर शहर से 3,000 करोड़ रुपये सालाना मिलते हैं। नई दरों से छत्तीसगढ़ सरकार को राजस्व में बड़ी बढ़त की उम्मीद है। सूत्रों के अनुसार, नई गाइडलाइन दरों की अंतिम सूची जून के अंतिम सप्ताह में प्रकाशित की जाएगी और 1 जुलाई से लागू हो जाएंगी। इसके बाद सभी रजिस्ट्री इन्हीं नई दरों के अनुसार होंगी।



